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जूं अक्सर जानवरों के कान के पीछे, पैरों के बीच और गर्दन की तहों में मिलती है. यहां ये लगातार खून चूसती.
पशु लगातार खुजली करें, बाल झड़ें, त्वचा पर लाल धब्बे या घाव दिखें और चमड़ी रूखी हो जाए तो समझें जूं का संक्रमण है.
पशुओं के रहने की जगह को हमेशा साफ और सूखा रखें. गंदगी और नमी जूं को बढ़ावा देती है.
अगर नया पशु खरीदा गया हो तो उसे सीधे अन्य पशुओं के साथ न मिलाएं. पहले उसकी जांच और ट्रीटमेंट कराएं.
कम से कम साल में दो बार पशुओं का इलाज करें. इससे जूं का प्रकोप कम होगा और जानवर स्वस्थ रहेंगे.
तीन सप्ताह से छोटे पशु शावकों को दवा न दें. उनकी अलग देखभाल करें ताकि वे संक्रमण से सुरक्षित रहें.
अगर समय पर इलाज न हो तो दूध उत्पादन घटता है, बछड़े कमजोर हो जाते हैं और इम्युनिटी गिरती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.