सर्दी का मौसम हो या गर्मी, गर्भवती भैंस को विशेष पोषण और सुरक्षा की जरूरत हमेशा होती है. 

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ऐसे में उन्हेंलहल्का, पचने योग्य और पौष्टिक आहार दें. दाने का मिश्रण, हरा चारा, गेहूं का चोकर और थोड़ा गुड़ दें.

गर्भ के अंतिम महीनों में हल्का कैल्शियम घोल देना जरूरी है. इससे प्रसव सुरक्षित होता है और दूध उत्पादन प्रभावित नहीं होता.

सही पोषण न मिलने पर कमजोर बछड़ा, मिल्क फीवर, प्रसव में जटिलताएं और दूध में भारी कमी जैसी समस्याएं होती हैं.

भैंस को सूखी, आरामदायक और सुरक्षित जगह दें. फिसलन न हो और जमीन पर मिट्टी या रेत की परत हो.

भैंस को हमेशा साफ और ताजा पानी दें. बाड़े में अच्छी हवा और हल्की धूप का इंतजाम शरीर संतुलन के लिए जरूरी है.

भैंस हर 21 दिन में हीट आती है. दोबारा हीट न आने पर पशु चिकित्सक से गर्भ की पुष्टि कराएं.

8वां, 9वां और 10वां महीना सबसे संवेदनशील होते हैं. इस दौरान अधिक ऊर्जा, खनिज और आराम देना जरूरी है.

सही आहार, आराम और सफाई अपनाने से बछड़ा मजबूत होता है और भैंस का दूध अच्छी क्वालिटी का मिलता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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