गर्भवती भैंस की सही देखभाल से न केवल बछड़ा स्वस्थ पैदा होता है, बल्कि डिलीवरी के बाद दूध की मात्रा भी बढ़ती है. 

Photo Credit: Canva

गर्भवती भैंस की पहचान हर 21 दिन में हीट न आने से की जा सकती है, लेकिन पक्के तौर पर पशु चिकित्सक की जांच जरूरी है.

संतुलित और पौष्टिक आहार देना बेहद जरूरी है. वजन और दूध उत्पादन के अनुसार दाना, हरा चारा और गुड़ शामिल करें.

प्रसव से 15-20 दिन पहले कैल्शियम का घोल देना शुरू करें ताकि डिलीवरी सुरक्षित और आसान हो.

प्रसव के दौरान भैंस को ठंडा पानी न पिलाएं, क्योंकि इससे बछड़े और दूध उत्पादन पर असर पड़ सकता है.

अगर सही आहार नहीं दिया गया तो बछड़ा कमजोर पैदा हो सकता है और दूध की मात्रा में भारी गिरावट आ सकती है.

गर्भवती भैंस के बाड़े को साफ, हवादार और सुरक्षित रखें. आठवें महीने के बाद उसे अन्य पशुओं से अलग करें.

गर्भ के अंतिम तीन महीने सबसे महत्वपूर्ण होते हैं. भैंस को अधिक आराम दें और बार-बार उठने-बैठने से बचाएं.

डिलीवरी के बाद भैंस को गुनगुना पानी दें और शांत वातावरण में रखें, ताकि दूध उत्पादन और बछड़े की सेहत दोनों अच्छी रहें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

Next: भैंस के दूध को बढ़ाने के लिए क्या घरेलू उपाय हैं?