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छड़ रोग में पशु का शरीर अचानक तेज बुखार से गरम हो जाता है और पेट तेजी से फूलने लगता है.
रोग लगते ही पशु का संतुलन बिगड़ जाता है और वे अचानक गिर जाते हैं. साथ ही शरीर में तेज कंपन दिखने लगती है.
इस रोग में पशु की सांसें असामान्य रूप से तेज चलती हैं. मृत्यु के बाद प्राकृतिक छिद्रों से खून जैसा तरल निकलता है.
छड़ रोग का कोई पक्का इलाज उपलब्ध नहीं, इसलिए डॉक्टर द्वारा तुरंत इलाज जरूरी है.
रोकथाम के लिए बछियों को 3–6 माह की उम्र में Brucella-Abortus S-19 टीका लगवाना आवश्यक है.
जिन क्षेत्रों में यह रोग बार-बार होता है, वहां पशुओं को हर साल जून–जुलाई में छड़ रोग का टीका लगवाना चाहिए.
बीमार पशु को बाकी मवेशियों से तुरंत अलग कर दें. मृत्यु होने पर शव को 6 फीट गहरे गड्ढे में ब्लीचिंग पाउडर के साथ दबाएं.
अगर आसपास के गांव में रोग फैला है, तो वहां से पशुओं व पशुपालकों का आना-जाना रोक दें.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.