Photo Credit: Canva
गिर गाय का दूध A2 कैटेगरी में आता है, जो पचने में आसान और सेहत के लिए बेहद लाभदायक होता है.
सिर्फ दूध ही नहीं, गिर गाय से मिलने वाला गोबर और गौमूत्र भी किसानों की आमदनी का बड़ा जरिया बन गया है.
गोबर से बनने वाला “जीवामृत” मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है, जिससे रासायनिक खादों पर निर्भरता घटती है.
गौमूत्र को पानी में मिलाकर छिड़कने से फसलों पर कीट नहीं लगते, जिससे उत्पादन सुरक्षित रहता है.
गिर गाय का स्वभाव बेहद शांत और मिलनसार होता है, जिससे इसे पालना और संभालना दूसरे नस्लों की तुलना में आसान है.
दूध, खाद, कीटनाशक और खेती, इन सबके समन्वय से गिर गाय किसानों को आत्मनिर्भर और पर्यावरण-संवेदनशील बना रही है.
गिर गाय ने साबित किया है कि देशी नस्लों में अपार संभावनाएं हैं. इससे किसानों की आमदनी बढ़ती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.