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यह थनैला रोग का संकेत हो सकता है, जो समय पर इलाज न मिलने पर लंबे समय तक परेशानी बन जाता है.
थनैला एक गंभीर संक्रमण है, जिसमें पशु के थनों में सूजन, दर्द और गांठ बन जाती है.
यह बीमारी अधिकतर बच्चा देने के बाद होती है और दूध उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित करती है.
थनैला रोग में दूध का रंग बदल सकता है. कई बार दूध में खून या मवाद आने लगता है, जो संक्रमण बढ़ने का संकेत है.
अगर थनैला का समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह बीमारी लंबे समय तक बनी रहती है.
पशुपालकों के अनुसार, गाय के बच्चा देने से करीब 48 घंटे पहले बाहर से दिया जाने वाला कैल्शियम बंद कर देना चाहिए.
थनों की सही सफाई न होना, गंदा बथान और थनों में चोट लगना थनैला रोग को न्योता देता है.
थनों का असामान्य रूप से फूलना, गांठ पड़ना, पशु का बेचैन रहना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं.
अरंडी तेल से मालिश, नीम पानी की सेखाई और गुड़-दाना देना सूजन घटाने में मदद करता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.