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लेकिन अगर आप चाहते हैं दूध की नदी बहे, तो सही नस्ल चुनना बेहद जरूरी है वरना सारी मेहनत बेकार हो सकती हैच
मुर्रा नस्ल को "काला सोना" कहा जाता है क्योंकि यह रोज़ 15-20 लीटर दूध देती है. इसमें फैट कंटेंट अधिक होता है.
पंजाब की नीली रावी भैंसें रोज 16-17 लीटर दूध देती हैं. यह कम बीमार पड़ती है और संभालना भी आसान होता है.
गुजरात की जाफराबादी भैंस 10-12 लीटर दूध देती है, जिसमें फैट काफी होता है. यह मजबूत शरीर और बड़े सींगों वाली होती है.
महसाना भैंस मुर्रा और सुरती नस्लों से मिलकर बनी है. यह 12-14 लीटर तक दूध देती है.
गलत नस्लें पालने से किसान को कम दूध और नुकसान झेलना पड़ता है. सही नस्ल का चुनाव मुनाफा बढ़ाने की पहली सीढ़ी है.
आज दूध उत्पादन एक लाभदायक व्यवसाय बन गया है. सही प्लानिंग से किसान हर महीने हजारों रुपये कमा सकते हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.