आयुर्वेद में गाय के दूध को सर्वोत्तम आहार बताया गया है. इसके रोजाना सेवन से शरीर को कई फायदे मिलते हैं.

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गाय का दूध वात, पित्त और कफ जैसे तीनों दोषों को संतुलित करता है और टीबी जैसे रोगों में भी लाभकारी माना गया है.

अगर गाय गलती से कोई विषैला पदार्थ खा भी ले, तो उसका असर दूध में नहीं आता. यह इसकी सबसे अनोखी विशेषता है.

चरक संहिता के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों की छोटे कद वाली गायों का दूध सबसे औषधीय और पौष्टिक माना गया है.

आयुर्वेद कहता है कि काली गाय, जिसका बछड़ा भी काला हो, उसका दूध प्रजनन और शक्ति के लिए लाभकारी होता है.

गाय जिस क्षेत्र और वातावरण में रहती है, उसके दूध की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता है. 

इस वजह से ही पहाड़ी गायों का दूध ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.

लाल गाय का दूध वातनाशक, पीली गाय का दूध पित्त शांत करने वाला और सफेद गाय का दूध शीतल व भारी माना गया है.

गाय के दूध की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह न सिर्फ शरीर बल्कि मन को भी शांति देता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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