धान की वृद्धि और प्रोटीन निर्माण के लिए नाइट्रोजन बेहद जरूरी है. सही संतुलन पौधों को मजबूत बनाता है.

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धान की फसल में सामान्यतः प्रति हेक्टेयर 100–120 किलो यूरिया पर्याप्त होती है. 

उर्वरक डालने से पहले मृदा परीक्षण अवश्य करें. इससे लागत कम होगी और कम इनपुट में अधिक उत्पादन मिलेगा.

पहली बार रोपाई के एक सप्ताह बाद, दूसरी बार कल्ले निकलने पर नाइट्रोजन दें. यह दाने का आकार और संख्या बढ़ाता है.

जरूरत से ज्यादा नाइट्रोजन से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, किनारे जलने लगते हैं और मिट्टी की उर्वरता भी घट जाती है.

नाइट्रोजन तभी डालें जब खेत में पर्याप्त नमी हो. खेत इतना गीला होना चाहिए कि किसान का पैर हल्का सा धंस सके.

नाइट्रोजन सुबह या शाम को दें. तेज धूप में नाइट्रोजन उड़कर वायुमंडल में चली जाती है और पौधों को लाभ नहीं मिलता.

पानी भरे खेत में नाइट्रोजन बिल्कुल न डालें, वरना यह जड़ों से नीचे चली जाती है और फसल को फायदा नहीं मिल पाता.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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