खरीफ सीजन में धान मुख्य फसल होती है, जिसे किसान पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरीकों से उगाते हैं. 

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रोपाई के बाद धान की देखभाल और खाद डालना उतना ही जरूरी है जितना समय पर रोपाई करना. 

विशेषज्ञों के अनुसार, जरूरत से ज्यादा या कम खाद देने से नुकसान हो सकता है. इसलिए हिसाब से इस्तेमाल करना चाहिए.

120–125 दिन वाले विकासशील प्रकार में 3 किलो यूरिया प्रति कट्ठा की सिफारिश की जाती है. 

धान में तीन बार खाद डालना जरूरी है, रोपाई से पहले, 30 दिन बाद टीलरिंग स्टेज पर और 45–50 दिन पर ताकत बढ़ाने के लिए.

रोपाई के 30 दिन बाद पौधे टीलरिंग स्टेज पर होते हैं, इस समय खाद देने से एक पौधे से कई पौधे विकसित होते हैं.

45–50 दिन पर और खासकर बाली निकलने पर धान को सबसे ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है. 

ऐसे में इस समय यूरिया का छिड़काव करना बेहद जरूरी हो जाता है.

हर चरण पर 20–30% यूरिया का छिड़काव और बाली बनने पर 40% खाद देने से धान की उपज बढ़ती हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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