दिवाली का पर्व प्रभु श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है. हर घर दीपों की रोशनी से जगमगाता है.

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जले हुए दीपक सिर्फ मिट्टी के नहीं होते, ये सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का प्रतीक माने जाते हैं.

दिवाली के अगले दिन आने वाली गोवर्धन पूजा में इन दीयों का दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है, यह शुभ माना जाता है.

गोवर्धन पूजा के बाद इन दीयों को बाकी पूजा सामग्री के साथ नदी या तालाब में प्रवाहित करें.

कुछ दीपक घर के मंदिर में रख दें. मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा और घर में समृद्धि बनी रहती है.

अगर आपके आस-पास नदी या तालाब नहीं है, तो दीयों को घर में किसी साफ और सुरक्षित स्थान पर रख दें.

जले हुए दीयों को फेंकने की बजाय जरूरतमंदों को दान करें. ऐसा करने से घर में सुख-शांति और शुभ फल प्राप्त होते हैं.

अगर चाहें तो मिट्टी के दीये बच्चों को खेलने के लिए दे सकते हैं. यह बच्चों को भारतीय परंपरा से जोड़ता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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