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'सावन साग न भादो दही' ये कहावत आपने कभी न कभी जरूर सुनी होगी. अगर नहीं सुनी, तो जान लीजिए.
'सावन साग न भादो दही' ये कहावत आपने कभी न कभी जरूर सुनी होगी. अगर नहीं सुनी, तो जान लीजिए.
हमारे पूर्वजों ने हर मौसम और महीने के हिसाब से खानपान के नियम बताए हैं, ताकि हम बीमारियों से बचे रहें.
आयुर्वेद एक्सपर्ट के मुताबिक, सावन और भादो (भाद्रपद) के महीने में खासतौर पर खानपान का ध्यान रखना चाहिए.
इन महीनों में बरसात जोरों पर होती है और इसका सीधा असर हमारी पाचन शक्ति (जठराग्नि) पर पड़ता है.
इस मौसम में वात, पित्त और कफ से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इससे कमजोरी होती है.
हवा में नमी और गंदगी की वजह से विषैले कीटाणु तेजी से पनपते हैं, जो सब्जियों और फलों में भी घर बना लेते हैं.
आयुर्वेद के अनुसार, बरसात के मौसम दूध न पीएं. साथ ही हरी पत्तेदार सब्जियां न खाएं.
इसके अलावा सावन भादो में रसदार फल नहीं खाना चाहिए. इसके अलावा बैंगन न खाएं, इससे गैस होती है.
साथ ही फास्ट फूड से बचें. मिठाइयों का ज्यादा सेवन न करें. मांस और शराब न लें.
ठंडी और बासी चीजें भी नहीं खाएं. आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक न पीएं. चुकंदर, खीरा और ककड़ी न खाएं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.