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बालियां निकलते समय हल्की नमी बनाए रखना जरूरी है. अधिक जलभराव से जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिलती.
बारिश अधिक होने पर पानी तुरंत निकालें और सूखे में हल्की सिंचाई करें, ताकि पौधों को लगातार पोषण मिलता रहे.
बालियों में दाने भरने के लिए यूरिया का छिड़काव करें. इससे पौधे हरे-भरे रहते हैं और उत्पादन बढ़ता है.
जिंक सल्फेट (33%) का छिड़काव करने से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और पत्तियों का पीला पड़ना रुकता है.
दानों के विकास और पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पोटाश और फॉस्फोरस का सही मात्रा में उपयोग करें.
पौधों की बढ़वार और बालियों में दानों के लिए जरूरत पड़ने पर जिबरेलिक एसिड का संतुलित छिड़काव किया जा सकता है.
तना छेदक, गंधी कीट और माहू से बचाव के लिए नीम का घोल या जैविक कीटनाशक इस्तेमाल करें.
झुलसा और ब्लास्ट जैसी फसल बीमारियों से बचाव के लिए खेत की नमी पर नियंत्रण रखें.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.