धान की खेती में जड़ गलन रोग किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन सकती है. 

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यह बीमारी रोपाई के कुछ दिनों बाद ही फसल को नुकसान पहुंचाने लगती है, जिससे पैदावार पर असर पड़ता है.

जड़ों में सड़न होने से पौधे की ग्रोथ रुक जाती है और वह पूरी तरह सूखने लगता है.

खेत में पानी का सही निकास न होने पर जड़ों में संक्रमण बढ़कर फसल को नष्ट कर देता है.

मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्व न होने से पौधों की प्रतिरोधक क्षमता घटती है और रोग का खतरा बढ़ता है.

गर्मी और उमस भरा मौसम जड़ गलन रोग के फैलाव को और तेज कर देता है.

रोग के लक्षण दिखते ही खेत में जल जमाव रोकना जरूरी है, ताकि जड़ों को ऑक्सीजन मिल सके.

अधिक रासायनिक खाद मिट्टी को कमजोर करती है, जिससे रोग फैलने की संभावना बढ़ती है.

गोबर की खाद या अन्य जैविक खाद का उपयोग मिट्टी की उर्वरता और पौधों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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