बारिश में अधिक नमी के कारण जड़ों के सड़ने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए गमले में जल निकासी की व्यवस्था जरूरी है.

PC: Canva

गुड़हल के पौधे को ऐसी जगह रखें जहां उस पर सीधे बारिश की तेज बौछारें न पड़ें. छायादार स्थान या शेड का सहारा लें.

इस मौसम में कीट और फंगस का खतरा ज्यादा रहता है. जैविक कीटनाशक या नीम के तेल का नियमित छिड़काव करें.

बारिश के बाद पौधे की छंटाई करना जरूरी होता है. इससे नई शाखाएं निकलती हैं और पौधा और भी घना और फूलों से भर जाता है.

गुड़हल को संतुलित पोषण की जरूरत होती है. मानसून के दौरान हर 15-20 दिन में खाद जरूर डालें, ताकि फूल ज्यादा खिलें.

पानी ज्यादा न ठहरे इसके लिए मिट्टी को समय-समय पर ढीला करते रहें. इससे हवा और पोषक तत्व जड़ों तक बेहतर पहुंचते हैं.

हालांकि मानसून में धूप कम होती है, लेकिन पौधे को कम से कम 3-4 घंटे की धूप जरूर मिलनी चाहिए. 

अगर आप इन बातों का ख्याल रखते हैं तो ये मौसम पौधे की वृद्धि के लिए वरदान साबित हो सकता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

Next: क्या घर के गमले में उगा सकते हैं कीवी? जानें