तुलसी का पौधा भारतीय घरों में धार्मिक आस्था और औषधीय गुणों का प्रतीक माना जाता है. 

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लेकिन कई लोग गमले में लगाने के बाद इसके बार-बार सूखने से परेशान रहते हैं. 

तुलसी प्राकृतिक रूप से कम पानी में भी पनप जाती है. लेकिन मिट्टी में नमी ज्यादा हो जाए तो पौधा जल्दी मुरझा देते हैं.

मिट्टी अगर लंबे समय तक गीली रहती है, तो जड़ें सड़ने लगती हैं. इसलिए जब मिट्टी का ऊपरी हिस्सा सूखा दिखे तभी पानी दें.

तुलसी के लिए हल्की, पानी निकलने वाली मिट्टी ज़रूरी है. लगभग 30% रेत मिलाने से मिट्टी ढीली रहती है.

गीला गोबर पौधे में फंगस पैदा कर सकता है. सूखे और भुरभुरे गोबर को मिट्टी में मिलाने से तुलसी मजबूत बनती है.

तुलसी के लिए चौड़े मुंह वाला गमला सर्वोत्तम होता है. नीचे निकासी छेद होने से पानी रुकेगा नहीं और जड़ें सुरक्षित रहेंगी.

तुलसी के पुराने पत्ते या सूखी टहनियां काटने से पौधे में नई कलियां तेजी से निकलती हैं. 

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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