लंपी वायरस पहले गाय-भैंसों तक सीमित था, लेकिन अब बकरियों को भी प्रभावित कर रहा है.

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मच्छर, मक्खी, दूषित भोजन और संक्रमित पशुओं के घाव या लार के संपर्क से यह तेजी से एक से दूसरे जानवर तक फैल जाता है.

संक्रमण के 14 दिन बाद लक्षण दिखने लगते हैं, जिनमें बुखार, शरीर पर गांठें और आंख-नाक से पानी बहना शामिल है.

बीमार बकरियों का दूध उत्पादन घट जाता है. लंबे समय तक बीमारी रहने से उनका वजन भी लगातार कम होता है.

लंपी वायरस गर्भवती बकरियों में गर्भपात का कारण बन सकता है, जिससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होता है.

इस बीमारी की उत्पत्ति अफ्रीका के जाम्बिया से हुई थी और भारत में यह पहली बार 2019 में दर्ज की गई थी.

विशेषज्ञों के अनुसार संक्रमित बकरी का दूध अच्छी तरह उबालने के बाद सुरक्षित माना जाता है.

बकरियों को साफ जगह रखें, संक्रमित पशु को अलग करें, मच्छरों से बचाव करें और पशु चिकित्सक से जांच करवाएं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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