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आज के समय में बकरी पालन किसानों के लिए कम लागत में अच्छी कमाई का जरिया बनता जा रहा है.
लेकिन कई बार छोटी-सी लापरवाही बकरियों को बीमार कर देती है और पूरा मुनाफा नुकसान में बदल जाता है.
अगर बकरियों की बीमारी को समय रहते पहचान लिया जाए और सही इलाज कर दिया जाए, तो बच सकती है.
बकरियों में खुरपका -मुंहपका और मुंहा रोग ज्यादा देखने को मिलता है. इस बीमारी में बकरी के मुंह और पैरों में छाले हो जाते हैं.
मुंह से ज्यादा लार गिरती है, बकरी लंगड़ाकर चलती है, बुखार आता है और दूध कम हो जाता है.
ऐसी स्थिति में बीमार बकरी को तुरंत अलग रखें. छालों को एंटीसेप्टिक दवा से साफ करें और मुंह व खुरों पर बिटाडीन या लोरेक्सन लगाएं.
दर्द कम करने की दवा पशु डॉक्टर की सलाह से दें. बचाव के लिए हर 6 महीने में टीकाकरण जरूर कराएं.
सर्दियों में बकरियों को निमोनिया की समस्या हो जाती है. इसके लक्षण हैं-कंपकंपी, नाक से पानी गिरना, खांसी, बुखार और मुंह खोलकर सांस लेना.
इलाज के लिए एंटीबायोटिक 3 से 5 दिन तक दें और बकरी को ठंडी हवा से बचाएं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.