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दूध में मौजूद लैक्टोज को शरीर नहीं पचा पाता, जिससे दस्त, गैस और पेट दर्द जैसी समस्या हो सकती है.
कुछ लोगों में दूध प्रोटीन एलर्जी का कारण बनता है, जिससे त्वचा पर चकत्ते, खुजली और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
टाइप 1 डायबिटीज या ऑटोइम्यून विकार वाले मरीजों को दूध की मात्रा नियंत्रित रखनी चाहिए.
थायराइड और हार्मोनल इम्बैलेंस से जूझ रहे लोगों को दूध का सेवन सीमित करने की सलाह दी जाती है.
गैलेक्टोसीमिया में शरीर दूध में मौजूद गैलेक्टोज को पचा नहीं पाता, इसलिए पूरी तरह परहेज जरूरी है.
जो लोग वेगन डाइट फॉलो करते हैं, वे दूध की जगह सोया मिल्क, बादाम मिल्क या ओट मिल्क का इस्तेमाल करते हैं.
दूध से जुड़ी हर समस्या के लिए खुद निर्णय न लें. सही आहार और विकल्प चुनने के लिए विशेषज्ञ से परामर्श लेना जरूरी है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.