देसी नस्ल की भैंस अधिक दूध देती हैं, जिससे छोटे व बड़े दोनों किसानों को नियमित आय और आर्थिक सुरक्षा मिलती है.

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इन भैंसों की सहनशीलता व दूध की गुणवत्ता के कारण डेयरी उद्योग में न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी इनकी मांग है.

भारतीय जलवायु के अनुकूल इन भैंसें आसानी से पाली जा सकती हैं और कम देखभाल में अधिक उत्पादन देती हैं.

इनमें से एक हरियाणा-पंजाब की मुर्रा नस्ल की भैंस दिन में 15–30 लीटर तक दूध देती है, जिसमें 7% तक फैट होता है.

गुजरात की जाफराबादी भैंस रोजाना 15–30 लीटर दूध देती है और 7–9% वसा से भरपूर होती है.

मध्य प्रदेश की भदावरी भैंस कम चारे में 5–10 लीटर दूध देती है, जिसमें 8–10% वसा होती है.

गुजरात की सूरती भैंस 900–1300 लीटर प्रति ब्यात दूध देती है, जिसमें फैट 8–12% तक होती है.

इन सभी भैसों के दूध में 7–12% फैच होता है, जो दही, पनीर, मक्खन व घी को उच्च गुणवत्ता प्रदान करती है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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