चीनी-मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए काओलिन जैसी सफेद चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल होता है.

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इस मिट्टी को आकार देने के लिए चाक पर घुमाया जाता है या फिर तैयार सांचों में डालकर सुंदर डिजाइनों में ढाला जाता है.

मिट्टी को सही रूप देने के बाद उसे सावधानी से सुखाया जाता है, ताकि उसमें दरारें न पड़ें और वह मजबूत आधार बना सके.

बर्तन को उच्च तापमान वाली भट्टी में पकाया जाता है. यहां मिट्टी धीरे-धीरे कांच जैसी कठोर और टिकाऊ बन जाती है.

तापमान की गर्मी मिट्टी को बेहद मजबूत बना देती है, जिससे यह सामान्य बर्तनों की तुलना में ज्यादा टिकाऊ होती है.

पकाने के बाद बर्तनों पर ग्लेज़ की परत चढ़ाई जाती है, जिससे वे और भी चमकदार और आकर्षक दिखते हैं.

ग्लेज लगाने के बाद इन्हें दोबारा भट्टी में पकाया जाता है, जिससे उन पर सुंदर फिनिश आ जाती है.

आखिर में बर्तनों पर नक्काशी, डिजाइन और पेंटिंग की जाती है, जिससे ये बेहद खूबसूरत और बाजार में लोकप्रिय हो जाते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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