दूध न देने वाले पशु भी देखभाल के हकदार हैं. उन्हें रोज 1–1.5 किलो दाना, 3 किलो भूसा और 15–20 किलो हरा चारा दें.

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जितना दूध, उतना दाना, गाय के हर लीटर दूध पर 400 ग्राम और भैंस के लिए 500 ग्राम दाना दें. 

बरसात में गीला या सड़ा हुआ चारा फंगल इन्फेक्शन फैला सकता है, जिससे पशु बीमार हो सकते हैं. 

थनों को साफ करने से थनैला जैसी बीमारियों से बचाव होता है और दूध भी स्वच्छ व सुरक्षित रहता है. 

मच्छर-मक्खियों से पशु तनाव में आ जाते हैं और दूध देना कम कर देते हैं. ऐसे में नीम का धुआं या कीटनाशक स्प्रे करें.

बरसात में सरसों खली, मक्का, गेहूं, सोयाबीन और हरे चारे से पशुओं की इम्युनिटी बेहतर बनी रहती है.

पशु शेड में पानी जमा न हो, नमी और फिसलन से बचें. रबर मैट बिछाएं, तेज पंखे चलाएं और शेड को हवादार बनाए रखें.

FMD, गलघोंटू जैसी बीमारियों से बचाव के लिए समय पर टीका लगवाएं और उसकी तारीख जरूर नोट रखें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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