हल्दी रोग धान की फसल के लिए बेहद नुकसानदेह है. यह फसल की पैदावार और गुणवत्ता पर असर डालता है. 

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सही समय पर नियंत्रण से फसल सुरक्षित और उत्पादक बन सकती है. यह रोग विशेषकर बाली में दाने बनने के समय फैलता है. 

प्रभावित दानों पर काले और भूरे पाउडर दिखाई देता है, जिससे दानों का वजन कम होता है.

रोग को समय पर नियंत्रित न किया जाए तो पूरी फसल की पैदावार और गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.

हल्दी रोग अधिक नमी और उच्च तापमान में तेजी से फैलता है. लगातार जलभराव की स्थिति में भी इसका फैलाव बढ़ जाता है.

लक्षण दिखने पर प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी का 400 मि.ली घोल 140-150l पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.

हल्दी रोग बीज जनित रोग है. बुवाई से पहले कार्बेंडाजिम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें.

खेत की गहरी जुताई और मिट्टी का ट्राइकोडरमा कल्चर से उपचार रोग नियंत्रण में मदद करता है.

धान की फसल में यूरिया का कम से कम उपयोग करने से हल्दी रोग के फैलाव को नियंत्रित किया जा सकता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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