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छप्पन भोग का अर्थ है 56 प्रकार के सात्विक व्यंजन, जो भगवान को अर्पित किए जाते हैं.
इसमें मिष्ठान, नमकीन, फल, अनाज और दूध से बने व्यंजन शामिल होते हैं, जो श्रीकृष्ण के प्रिय माने जाते हैं.
ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए भगवान को 56 भोग अर्पित करना शुरू किया, जिससे छप्पन भोग की परंपरा बनी.
कथा के अनुसार, बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव से ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी अंगुली पर उठाया.
सात दिन उपवास के बाद ब्रजवासियों ने भगवान के आभार स्वरूप 56 प्रकार के व्यंजन बनाए.
छप्पन भोग में माखन, मिश्री, पेड़ा, लड्डू, रबड़ी, खिचड़ी, हलवा, कचौरी और ठंडे पेय जैसी कई चीजें शामिल होती हैं.
यह भोग न केवल प्रसाद है, बल्कि प्रेम, भक्ति और भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.