भारत में सबसे ज्यादा काले चावल की खेती उत्तर-पूर्वी राज्यों, खासकर मणिपुर और असम में होती है. 

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अब उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में भी किसान काले चावल की खेती की ओर बढ़ रहे हैं. 

काले चावल को प्राचीन काल में राजघरानों तक सीमित रखा गया था, इसलिए इसे ‘निषिद्ध चावल’ भी कहा जाता है.

इसमें एंटीऑक्सीडेंट, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की इम्युनिटी बढ़ाते हैं.

काले चावल को डायबिटीज, मोटापा और दिल की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है. 

काले चावल की खेती में जैविक खाद और पारंपरिक तरीकों से होती है, जिससे यह पूरी तरह ऑर्गेनिक माना जाता है.

ब्लैक जैपोनिका, काला चिपचिपा चावल और इटालियन ब्लैक राइस इस चावल की कुछ लोकप्रिय किस्में हैं.

इसकी पैदावार 7-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है और बाजार भाव 400 से 800 रुपये प्रति किलो तक मिलता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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