थनैला एक संक्रामक रोग है जो मादा पशुओं के थनों को संक्रमित करता है. खासतौर पर ज्यादा दूध देने वाली गायों-भैंसों में.

PC: Canva

थन में सूजन, दर्द, दूध का रंग या गंध बदलना, दूध में खून या मवाद आना इसके लक्षण हैं. 

इसमें दूध की मात्रा तेजी से घटती है, जानवर बैठने लगता है, इलाज में खर्च आता है और पशु की जान भी जा सकती है. 

इसके मुख्य कारण गंदे हाथों से दूध निकालना, कीचड़ या गंदगी में खड़ा रहना संक्रमित जानवर के संपर्क में आना है.

स्ट्रेप्टोकोकस, ई. कोली, माइकोप्लाज्मा, फंगस और यीस्ट जैसे सूक्ष्मजीव थन के जरिए शरीर में प्रवेश कर संक्रमण फैलाते हैं.

ऐसे में दूध को तुरंत पूरा निकालें, डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं दें. 

हर दूध दुहने से पहले और बाद में थनों को धोएं, हाथ और बर्तन साफ रखें. बीमार पशु को अलग बांधें और उसका दूध न बेचें.

गाय-भैंस को सूखा और साफ बथान, संतुलित आहार और मौसम के अनुसार देखभाल दें. समय पर टीकाकरण भी करें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

Next: Dairy के लिए ये है गाय की सबसे बेहतरीन नस्ल!!