श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की रात 12 बजे हुआ था, इसलिए इस समय पूरे देश में विशेष पूजा-अर्चना होती है.

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उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी पर रंगीन झांकियां, रासलीला और रात्रि जागरण की भव्य परंपरा देखने को मिलती है.

इस साल अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त की रात से लेकर 16 अगस्त को शाम तक रहेगी.

भक्त जन्माष्टमी के दिन निर्जला उपवास रखते हैं और रात को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद फलाहार करते हैं.

महाराष्ट्र और मुंबई में दही-हांडी कार्यक्रम बेहद प्रसिद्ध है, जिसमें युवाओं की टोली ऊंचाई पर लटकी मटकी फोड़ती है.

मंदिरों और घरों में श्रीकृष्ण को झूले में बैठाकर फूलों, मोरपंख और पीतांबर से सजाया जाता है.

श्रीकृष्ण के बाल रूप को झूले में बैठाकर भक्त उन्हें झुलाते हैं, यह दृश्य बच्चों और बुजुर्गों को बहुत आनंदित करता है.

भक्तजन भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाते हैं, जिनमें मक्खन, मिश्री, धनिया पंजीरी, फल आदि प्रमुख होते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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