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15 अगस्त रात 11:49 बजे से 16 अगस्त रात 09:34 बजे तक अष्टमी तिथि रहेगी.
16 अगस्त की रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव पूजा के लिए शुभ माना गया.
17 अगस्त की सुबह 04:38 बजे रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा, जो जन्माष्टमी के महत्व को बढ़ाता है.
17 अगस्त को सुबह 09:24 बजे के बाद व्रत पारण किया जा सकता है.
आधी रात को खीरा काटा जाता है, जिसे भगवान कृष्ण के जन्म और नाभि छेदन का प्रतीक माना जाता है.
खीरे का डंठल गर्भनाल का प्रतीक है, और इसे काटकर जन्म की रस्म का अनुसरण किया जाता है.
घर में कान्हा की मूर्ति की पूजा कर माखन-मिश्री और अन्य सात्विक भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.