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केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को मुर्गी पालन के लिए सब्सिडी और ट्रेनिंग देती हैं, जिससे लागत कम हो जाती है.
मात्र ₹40,000–₹50,000 में मुर्गी पालन शुरू किया जा सकता है, जिसमें मुर्गियां, चारा, शेड और दवाई की लागत शामिल होती है.
कड़कनाथ, ग्रामप्रिया, वनेराजा जैसी नस्लें तेजी से बढ़ती हैं, ज्यादा अंडे देती हैं और बीमारियों से बचाव की क्षमता रखती हैं.
देसी मुर्गियां एक साल में औसतन 160–180 अंडे देती हैं, जिनकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है.
अंडों के अलावा बड़ी मुर्गियों को मीट के लिए बेचकर किसान दोगुनी कमाई कर सकते हैं.
देसी नस्लें कम चारे में भी अच्छी तरह पनपती हैं, जिससे लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है.
ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत से शुरू होने वाला यह व्यवसाय बेरोजगार युवाओं के लिए स्थायी रोजगार का साधन बन सकता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.