कई पोल्ट्री किसान ठंड के मौसम में अचानक चूजों की मौत से परेशान रहते हैं, लेकिन असली वजह समझ नहीं पाते. 

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ब्रूडर निमोनिया ऐसी ही बीमारी है, जो बिना शोर किए चूजों को अपना शिकार बनाती है. 

ब्रूडर निमोनिया एक फफूंद (फंगल) जनित बीमारी है, जो सीधे चूजों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है. 

ठंड के मौसम में धूप और हवा कम मिलती है. इससे नमी बढ़ती है, जो फफूंद के पनपने के लिए अनुकूल माहौल बनाती है.

संक्रमित चूजा खाना-पीना छोड़ देता है, मुंह खोलकर सांस लेता है और सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आती है. 

इस बीमारी का कोई पक्का इलाज नहीं है. एक बार चूजा संक्रमित हो गया, तो उसके बचने की संभावना कम रहती है.

फार्म में हवा का अच्छा आवागमन रखें. दिन में कुछ समय धूप जरूर लगने दें, ताकि नमी कम हो और फफूंद पनप न सके.

बिछावन हमेशा सूखा रखें, गीली भूसी तुरंत हटाएं. पानी और दाने के बर्तनों को रोज साफ करें, ताकि संक्रमण न फैले.

पहले 10 दिनों तक चूजों को विटामिन A और E सप्लीमेंट दें. इससे उनकी इम्युनिटी मजबूत होती है.

पाले या ठंडी हवा के समय चूजों को खुले में न रखें. ब्रूडर का तापमान संतुलित रखें, ताकि चूजों को ठंड न लगे.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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