भैंस पालन किसानों के लिए कमाई का बड़ा जरिया बन चुका है. मुर्रा और जाफराबादी दोनों ही देश की टॉप नस्लें हैं.

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मुर्रा भैंस अपनी चमकदार काली त्वचा, मुड़ी हुई सींग और सिर-पूंछ पर हल्के सुनहरे बालों से पहचान में आती है. 

जाफराबादी भैंस आकार में कहीं ज्यादा भारी और मजबूत होती है. इसके लंबे कान और घुमावदार सींग इसकी पहचान हैं.

मुर्रा और जाफराबादी, दोनों ही रोज औसतन 20–30 लीटर दूध दे सकती हैं. इस वजह से किसान इन्हें पालते हैं.

मुर्रा की गर्भावधि लगभग 310 दिन रहती है, जो कि डेयरी किसानों के लिए एक प्रैक्टिकल चक्र है. 

एक ब्यांत में जाफराबादी भैंस 1800–2000 लीटर तक दूध दे सकती है. यह इसे स्थायी दूध उत्पादन वाली नस्ल बनाती है.

जाफराबादी का वजन 750–1000 किलो तक होता है. यह कठिन परिस्तिथियों में भी खुद को अच्छी तरह संभाल लेती है.

मुर्रा की कीमत 50 हजार से 2 लाख तक होता है. जाफराबादी आमतौर पर 90 हजार से 1.5 लाख में मिल जाती है. 

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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