जूं और किलनी जैसे कीड़े त्वचा से खून चूसते हैं, जिससे पशु बेचैन हो जाता है और लगातार खुजली करता है. 

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संक्रमण बढ़ने पर पशु की चमड़ी लाल हो जाती है, बाल झड़ने लगते हैं और कई बार त्वचा पर घाव भी हो जाते हैं. 

गीले और गंदे शेड इन परजीवियों के फैलने की सबसे बड़ी वजह होते हैं. नियमित साफ-सफाई न होने पर संक्रमण फैलता है.

नीम के पत्तों का उबला पानी, नीम तेल या फिटकरी के पानी से पशु को नहलाएं. इससे शुरुआती राहत मिल सकती है.

अगर लक्षण दिखते ही इलाज शुरू न किया जाए, तो ये संक्रमण पूरे पशुशाला में फैल सकता है. 

पशु के रहने की जगह को रोजाना साफ करें, बिछावन सूखा रखें और फिनाइल या चूने का छिड़काव करें. 

पशु को नियमित रूप से धूप में रखें. धूप में नमी कम होती है और परजीवियों की संख्या भी घटती है. 

अगर पशु स्वस्थ नहीं रहेगा तो दूध उत्पादन में कमी आएगी और खर्च बढ़ेगा. सही देखभाल और इलाज से आप इससे बच सकते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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