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गाय, भैंस, बकरी, भेड़, सुअर, अंडा देने वाले पक्षी और मधुमक्खियों पर इन दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा.
अब उत्पादन (दूध, अंडा, मांस) बढ़ाने के उद्देश्य से किसी भी एंटीबायोटिक दवा का प्रयोग गैरकानूनी होगा.
दवाओं के अवशेष अगर दूध, अंडे या शहद में रहते हैं तो वो इंसानों की सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं.
बार-बार दवा देने से पशु उन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक हो जाते हैं, जिससे बीमारी बढ़ती है.
किसी भी दवा के इस्तेमाल से पहले पशु चिकित्सक की सलाह लेना अनिवार्य है. बिना निर्देश दवा देने पर दंड लग सकता है.
पशुपालकों को अपने फार्म में इन नए नियमों का सख्ती से पालन करना होगा ताकि उनके उत्पाद कानूनी रूप से सुरक्षित रहें.
मधुमक्खी पालन, पोल्ट्री फार्म और डेयरी यूनिट जैसी इकाइयों पर अब निगरानी बढ़ेगी ताकि कोई अवैध दवा प्रयोग न हो.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.