ग्वार, मक्का, बारसीम जैसे चारे बारिश में गल जाते हैं, जिससे उनका पोषण खत्म हो जाता है.

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ऐसे में बाजरा प्रोटीन, फाइबर, आयरन और कैल्शियम से भरपूर होता है, जो बरसात में सड़ता नहीं है.

हरा बाजरा जानवरों को स्वादिष्ट लगता है, जिससे वे अधिक मात्रा में खाते हैं और उनका वजन तेजी से बढ़ता है.

बाजरा बोने के 50-60 दिनों में तैयार हो जाता है. एक बार बोने पर किसान 3-4 बार कटाई कर सकते हैं.

पौष्टिक बाजरा खाने से जानवरों की सेहत सुधरती है और दूध की मात्रा एवं गुणवत्ता दोनों में सुधार आता है.

कई किसान बाजरा बेचकर बरसात में बढ़ती हरे चारे की मांग का लाभ उठा रहे हैं और अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं.

पौष्टिक आहार से जानवरों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे वे बरसात में होने वाली बीमारियों से बचे रहते हैं.

बारिश में कीचड़, गंदगी और बाढ़ से बचाव जरूरी है. पशुओं के बाड़े को सूखा और साफ रखें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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