बछड़े को पेट के कीड़े मां से ही मिल जाते हैं. गर्भवती गाय के पेट में मौजूद कीड़े, जन्म से पहले बछड़े के शरीर में पहुंच सकते हैं.

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पेट में कीड़े होने पर बछड़े का वजन नहीं बढ़ता. चाहे दूध अच्छा मिल रहा हो, लेकिन पोषण शरीर में नहीं पहुंच पाता है.

बछड़े को बार-बार दस्त या कब्ज की शिकायत हो सकती है. साथ ही उसकी भूख कम होती है, जिससे शरीर कमजोर होता है.

इम्युनिटी कम हो जाने के कारण बछड़े में अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. वह जल्दी-जल्दी बीमार पड़ता है.

गर्भ के आखिरी दो महीनों में गाय या भैंस को कीड़े मारने की दवा दें. इससे नवजात बछड़े को जन्म से ही कीड़े नहीं मिलेंगे.

जब बछड़ा डेढ़ से दो महीने का हो जाए, तब हर 45-60 दिन पर कीड़े मारने की दवा जरूर दें.

बछड़े के गोबर की जांच करते रहें. अगर उसमें कीड़े दिखें या रंग-गंध में बदलाव हो तो तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लें.

बछड़े को साफ-सुथरे स्थान पर रखें और दूध के अलावा जरूरी न्यूट्रिशन भी दें. अच्छा पोषण कीड़े से लड़ने की ताकत देता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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