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इस रोग के लक्षणों में तेज बुखार, गले में सूजन, आवाज के साथ सांस लेना और सांस की दिक्कत शामिल हैं.
कई बार पशु बिल्कुल सामान्य लगता है लेकिन कुछ ही घंटों में दम तोड़ देता है. यही इस बीमारी की सबसे डरावनी बात है.
जैसे ही लक्षण दिखें, तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें. देरी करने पर जानवर को बचाना मुश्किल हो सकता है.
एंटीबायोटिक और जरूरी दवाओं से इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है, लेकिन समय पर इलाज हो तभी.
"गलाघोंटू" से बचने के लिए 3, 9 महीने और हर साल टीका लगवाना जरूरी है. यह टीका सरकार द्वारा निःशुल्क लगाया जाता है.
जिन क्षेत्रों में यह बीमारी पहले फैल चुकी है, वहां पशुपालकों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए. हर साल टीकाकरण सुनिश्चित करें.
अगर समय पर टीकाकरण नहीं कराया गया तो पशु की जान जा सकती है जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.