बबेसिओसिस या टिक फीवर चिचड़ी के काटने से फैलता है. चिचड़ी खून में बबेसिया परजीवी छोड़ती है, जो RBC को नष्ट करती है.

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ये परजीवी धीरे-धीरे जानवर के खून को कम करते हैं, जिससे शरीर कमजोर होता है. इलाज में देरी जानलेवा हो सकती है.

इस बीमारी की पहली पहचान कॉफी जैसा गाढ़ा पेशाब है. यह हीमोग्लोबिन के बाहर निकलने का संकेत है.

पशु में कमजोरी, सुस्ती, खून वाले दस्त और त्वचा-आंखों में पीलापन दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.

समय पर इलाज से यह बीमारी ठीक हो सकती है. इसके लिए ‘बिरेनिल’ दवा सबसे असरदार मानी जाती है.

सिर्फ परजीवी मारने की दवा नहीं, बल्कि खून की भरपाई के लिए टॉनिक या सप्लीमेंट्स भी देने होते हैं.

पशुशालाओं में गंदगी और नमी चिचड़ी को बढ़ावा देती है. नियमित सफाई, सूखे चारे और स्वच्छ पानी जरूरी है.

बारिश के समय विशेष सतर्कता बरतें. टिक हटाने वाले स्प्रे और त्वचा पर लगाने वाली दवाएं समय-समय पर इस्तेमाल करें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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