Photo Credit: Canva
यह रोग संक्रमित पशु की लार, झूठे भोजन या सीधे संपर्क से फैलता है.
प्रभावित पशु के मुंह और खुरों पर दर्दनाक छाले और घाव बन जाते हैं, जिससे वह खाना नहीं खा पाता.
बीमारी से दूध उत्पादन 30-50% तक घट जाता है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है.
भारत सरकार ने इस बीमारी को 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा है और साल में दो बार टीकाकरण अभियान चला रही है.
किसान 1 अक्टूबर से 15 नवंबर तक नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्रों पर जाकर मुफ्त वैक्सीन लगवा सकते हैं.
टीका नहीं लगवाने पर पशु का वजन 15-20 किलो तक घट सकता है और कई बार जान का खतरा भी बन जाता है.
हल्के संक्रमण में पोटेशियम परमैगनेट से घाव धोकर ग्लिसरीन और बोरिक एसिड पाउडर का लेप लगाना फायदेमंद है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.