थनैला रोग में पशु के थन सूज जाते हैं, वे सख्त, गर्म और बहुत दर्दनाक हो जाते हैं, जिससे दूध दुहना मुश्किल हो जाता है.

PC: Canva

संक्रमित पशु के थन से पीले-भूरे रंग का, दही जैसा, थक्केदार और कई बार खून मिला दूध निकलता है.

इस रोग में पशु को तेज बुखार होता है, जिससे उसकी भूख मर जाती है और जान जाने का खतरा बढ़ जाता है.

गंदे हाथों से दूध दुहना या गंदी पशुशाला में रहना थनैला रोग का बड़ा कारण बन सकता है. संक्रमित पशु से यह तेजी से फैलता है.

यह रोग बैक्टीरिया, वायरस, माइक्रोप्लाज्मा और फफूंद के कारण फैलता है और तेज़ी से पशुओं को अपनी चपेट में लेता है.

अनियमित रूप से दूध दुहना, थन पर चोट लगना और साफ-सफाई में कोताही इस रोग को न्योता देते हैं.

पशुशाला को साफ रखें, मक्खी-मच्छरों से बचाव करें और चारे में विटामिन-E व मिनरल्स मिलाएं ताकि.

दूध दुहने से पहले व बाद में थन को लाल दवा से साफ करें. दुहने के बाद 30 मिनट तक पशु को खड़ा रखें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

Next: घर पर आसानी से लगाएं केले का पेड़, जानें पूरा प्रोसेस