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मुर्रा, सुरती, जाफराबादी, मेहसाना, भदावरी, पंढरपुरी और चिल्का डेयरी फार्मिंग के लिए सबसे अधिक पसंद की जाती है.
दूध की मात्रा नस्ल के साथ-साथ भैंस के संतुलित आहार पर भी निर्भर करती है.
रोजाना 20–25 किलो हरे चारे, दाने, खली और चोकर देना जरूरी है.
भैंस को गंदा या खराब चारा न दें. रेशे युक्त दाना पचाने में आसान होता है और दूध उत्पादन बढ़ाता है.
भैंस के रहने की जगह साफ-सुथरी, हवादार और नहलाने योग्य होनी चाहिए.
भैंस को बीमारियों से बचाने के लिए समय-समय पर वैक्सीनेशन जरूरी करवाएं.
भैंस का दूध सीधे बेचकर या पनीर, दही, घी जैसे उत्पाद बनाकर अतिरिक्त आमदनी की जा सकती है.
भैंस पालन सही तरीके से करने पर किसान डेयरी लोन और सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा सकते हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.