बरसात के बाद मच्छर, मक्खी और किलनी जैसे पैरासाइट्स पशुओं के लिए बड़ा खतरा बन जाते हैं. 

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ये दूध उत्पादन कम करते हैं और बीमारियों का कारण बनते हैं. सही रोकथाम से इन्हें बचाया जा सकता है.

मच्छर, मक्खी, जोंक और किलनी इस मौसम में सबसे ज्यादा एक्टिव होते हैं और पशुओं को खून चूसकर कमजोर कर देते हैं.

डॉक्टर इन्हें "वेक्टर" कहते हैं, जो खासकर बाढ़ या बरसात के बाद तेजी से फैलते हैं और झुंड में बीमारी पहुंचाते हैं.

इन परजीवियों की वजह से गाय-भैंस जैसी दुधारू पशुओं का दूध कम हो जाता है, जिससे किसान को आर्थिक नुकसान होता है.

एंटीपैरासिटिक दवाएं केवल पशु चिकित्सक की सलाह पर ही दें, वरना गलत दवा नुकसान पहुंचा सकती है.

पशुओं के लिए डॉक्टर द्वारा बनाए गए कृमिनाशक शेड्यूल का पालन करें और हर बार पूरा कोर्स जरूर कराएं.

एक ही परजीवी रोधी दवा लंबे समय तक न दें. सालाना दवा बदलने से उसका असर बना रहता है.

बिना डॉक्टर की सलाह के खुद से कोई भी दवा देना खतरनाक हो सकता है. हमेशा विशेषज्ञ से पूछकर ही उपचार करें.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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