सनातन धर्म में पितृपक्ष को पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करने और आशीर्वाद पाने का खास अवसर माना जाता है.

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मान्यता है कि दीपक जलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

हर दिन दक्षिण दिशा में चौमुखी दीपक जलाना शुभ होता है, क्योंकि यह पितरों की दिशा मानी जाती है.

दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से पितृ दोष का निवारण होता है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं.

मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पूर्वज दक्षिण दिशा से ही पृथ्वीलोक में आते हैं.

सरसों के तेल का दीपक जलाना सबसे उचित माना गया है, क्योंकि यह शुद्धता और श्रद्धा का प्रतीक है.

दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है, इसलिए इस दिशा में दीपक जलाना धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है.

दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से पूर्वजों की राह प्रकाशित होती है और उनके मार्ग की बाधाएं दूर होती हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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