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भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलने वाला यह समय पूर्वजों की आत्मा की शांति को समर्पित होता है.
इन दिनों पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोजन के साथ पौधे लगाने का भी महत्व माना जाता है.
शास्त्रों में पीपल को पवित्र और पितरों का वास स्थल माना गया है. इसे लगाने और पूजन से पितर प्रसन्न होते हैं.
पितृपक्ष में पीपल को दूध, पानी और तिल अर्पित करने से पुण्य और पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है.
बरगद को मोक्ष देने वाला पेड़ माना गया है. माता सीता ने भी बरगद को साक्षी मानकर पिंडदान किया था.
पितृपक्ष में बरगद का वृक्ष लगाना दीर्घायु और आध्यात्मिक लाभ देने वाला माना जाता है.
अशोक में भगवान विष्णु का वास माना जाता है. इसे लगाने और पूजन करने से पितर संतुष्ट और खुश होते हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.