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खासतौर पर बिछावन अगर गीली हो जाए तो बीमारियां तेजी से फैलती हैं और पूरा फार्म नुकसान में जा सकता है.
अगर बिछावन में नमी बनी रहती है तो उसमें बैक्टीरिया और परजीवी तेजी से पनपते हैं.
गीली बिछावन में रहने से मुर्गियों का वजन बढ़ना रुक जाता है. वे सुस्त रहने लगती हैं.
अगर बिछावन गीली दिखे तो उस पर 2–3 इंच सूखी रेत या चूना डालें. इससे नमी सोख ली जाती है.
जहां बिछावन सख्त, बदबूदार या ज्यादा गीली हो जाए, वहां की मिट्टी निकालकर नई सूखी बिछावन डालें.
हवा का सही आवागमन न होने से नमी जमा होती है. रोजाना वेंटिलेशन बनाए रखने से बिछावन सूखी रहती है.
बारिश या नमी के मौसम में बर्तन ऐसी जगह रखें जहां पानी गिरकर बिछावन को गीला न करे.
स्पेस की कमी से मुर्गियां एक जगह जमा रहती हैं, जिससे बिछावन जल्दी खराब होती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.