कर्ज सिर्फ पैसों का बोझ नहीं बल्कि मानसिक तनाव और कर्मों का हिसाब भी है. 

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प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि कर्ज का दुख पिछले जन्म के अधूरे रह गए ऋण का परिणाम होता है.

महाराज जी के अनुसार ईमानदार कमाई, अनुशासन, दान, नाम जप और सही संकल्प से कर्ज धीरे-धीरे खत्म हो जाता है.

प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जो ऋण पिछली जिंदगी में चुकाया नहीं गया, वही इस जन्म कर्ज बनकर लौटता है. 

महाराज कहते हैं लालच, दिखावा और फिजूलखर्ची इंसान को कर्ज के जाल में फंसा देती है.

महाराज जी कहते हैं कर्ज लेते ही मन बोझिल हो जाता है और तनाव जीवन का हिस्सा बन जाता है.

कर्ज नहीं लौटाने से पितृदोष, राहु-केतु का प्रभाव और पारिवारिक कलह बढ़ते हैं. आध्यात्मिक रूप से ये अपराध होता है.

महाराज जी कहते हैं कि आज ही यह निश्चय कर लें कि नया कर्ज नहीं लेंगे और पुराना कर्ज पूरी ईमानदारी से चुका देंगे. 

दैनिक 1 माला “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “राधे-नाम” जपने से मन शांत होता है और रास्ते खुलते हैं.

हर महीने आय का एक हिस्सा मंदिर, गौशाला या गरीबों को दान करने से नेगेटिव कर्म कमजोर होता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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