ठंड में जहां मुर्गी और बकरी पालन की दिक्कतें बढ़ती हैं, वहीं बत्तख किसानों के लिए नई उम्मीद बनकर उभर रही है. 

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कम खर्च, कम देखभाल और ज्यादा अंडे—इसी वजह से इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.

बत्तखों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत होती है. दवा, इलाज और देखभाल पर मुश्किल से खर्च आता है. 

1000 बत्तखों की बैच पर लगभग 3.75 लाख रुपये का खर्च आता है, जिसमें शेड, दाना और देखभाल शामिल हैं. 

एक बार तैयार होने के बाद ये कई महीनों तक लगातार अंडे और मीट से कमाई कराती रहती हैं.

शुरुआती 2 हफ्तों तक 35°C और अगले दो हफ्तों तक 25°C तापमान देकर इन्हें मजबूत बनाया जाता है.

बत्तख दोहरे उद्देश्य वाला पक्षी है. इंडियन रनर साल में करीब 300 अंडे देती है, खाकी नस्ल अंडों के लिए बेहतरीन है.

लगभग 1000 में से 800 बत्तखें रोज अंडा दें तो 800 × ₹10 = ₹8000 प्रतिदिन की कमाई सिर्फ अंडों से मुमकिन है. 

बत्तखें खेतों में दाने, कीड़े, कीट खुद खा लेती हैं. इससे दाने का खर्च कम होता है. 

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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