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अगर मछली पालक थोड़ी समझदारी दिखाएं, तो वही तालाब उन्हें मछली के साथ खेती से भी मोटी कमाई दिला सकता है.
तालाब के किनारों पर अरहर और पपीते की खेती कर किसान एक ही जगह से तीन तरह की कमाई कर सकते हैं.
अरहर को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती. तालाब की नमी से यह फसल आसानी से तैयार हो जाती है.
अरहर की जड़ें मिट्टी को मजबूत करती हैं, जिससे तालाब की मेढ़ टूटने का खतरा कम होता है.
पपीता कम समय में फल देने वाली फसल है. तालाब किनारे उगाया गया पपीता ज्यादा मीठा होता है.
साथ ही तालाब का पानी और आसपास की जैविक मिट्टी फसलों के लिए प्राकृतिक खाद का काम करती है.
यह एकीकृत खेती मॉडल किसानों को आत्मनिर्भर बनाता है. इससे आमदनी के साथा रोजगार के नए अवसर भी पैदा होते हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.