राजस्थान की रेतीली धरती से निकली खेरी भेड़ आज किसानों की पहली पसंद बन चुकी है. 

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यह नस्ल कम पानी और कम चारे में भी जीती है और दुगना मुनाफा दिलाती है. 

खेरी भेड़ का पालन आसान और सस्ता है. इसे महंगे चारे या दवाइयों की जरूरत नहीं पड़ती.

यह नस्ल ऊन, मांस और बच्चों की बिक्री से किसानों को तीन तरफा आमदनी देती है. 

खेरी भेड़ राजस्थान और हरियाणा जैसे शुष्क इलाकों में यह बेहतरीन ढंग से पनपती है.

इस नस्ल की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी ज्यादा होती है. यह आसानी से बीमार नहीं पड़ती.

खेरी भेड़ 6 से 8 महीने में ही अच्छा वजन पकड़ लेती है. एक साल में इसकी कीमत 10 से 15,000 रुपये तक पहुंच जाती है.

इसका शरीर मजबूत और रंग सफेद होता है, जबकि सिर और टांगों पर काले या भूरे धब्बे नजर आते हैं. 

खेरी भेड़ खेतों में बची फसल, सूखी घास और ज्वार-बाजरे की ठूंठ से अपना पोषण पूरा कर लेती है. 

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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