भगवान शिव को पति रूप में पाने हेतु माता पार्वती ने सावन मास के सभी सोमवारों को उपवास और शिव पूजा कर यह व्रत शुरू किया.

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नारद मुनि ने देवी पार्वती को सावन सोमवार का उपवास, शिवलिंग पर जलाभिषेक और एकाग्र ध्यान का मार्ग बताया था.

एक कथा के अनुसार चंद्रदेव ने शिवजी से भूलवश अनादर किया था, जिसका प्रायश्चित उन्होंने सावन सोमवार व्रत रखकर किया.

चंद्रदेव ने दूध और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया, जिससे प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें श्रापमुक्त कर दिया.

इस व्रत को करने से योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है, इसलिए अविवाहित कन्याओं के लिए फलदायक माना गया है.

सावन सोमवार व्रत मन के विकार, रोग और संकटों को दूर करता है और शिवभक्त को आंतरिक शांति प्रदान करता है.

व्रती सुबह स्नान कर फलाहार या निर्जल रहकर शिवलिंग पर जल, बेलपत्र चढ़ाने चाहिए और "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें.

यह व्रत सिर्फ इच्छापूर्ति नहीं, बल्कि आत्मनियंत्रण, श्रद्धा और भक्ति के बल पर शिवकृपा पाने का माध्यम है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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