शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय स्वयं का मुख उत्तर दिशा की ओर रखें और दक्षिण दिशा में खड़े होकर जल चढ़ाएं. 

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कभी भी शिवलिंग पर तेज़ धार से जल नहीं चढ़ाना चाहिए. धीरे-धीरे और पतली धार से जल अर्पण करें.

जल अर्पित करते समय मन में ॐ नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें. यह पूजा को पूर्ण और पवित्र बनाता है.

पूजा के दौरान शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए. आधी परिक्रमा करके वापस लौटना ही शास्त्र सम्मत होता है.

सावन में तांबे के लोटे से दूध अर्पित करना वर्जित माना गया है. इसके बजाय चांदी या स्टील का प्रयोग करें.

अभिषेक के समय जल के पात्र या बहते जल को लांघना निषिद्ध है. इससे पूजा का प्रभाव कम हो सकता है.

शिवलिंग के ऊपर या पास में अगरबत्ती या धूपदान न रखें. यह पूजा की शुद्धता को भंग करता है. इन्हें एक ओर दूर रखें.

जल अर्पण के लिए तांबे या पीतल के पात्र का उपयोग करना श्रेष्ठ माना गया है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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